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नील नदी घाटी की सभ्यता के लोगों का वस्त्राभूषण एवं सौन्दर्य प्रसाधन: एक झलक
नील नदी घाटी की सभ्यता, जिसे प्राचीन मिस्र के नाम से भी जाना जाता है, अपनी कला, वास्तुकला, और धार्मिक विश्वासों के लिए प्रसिद्ध है। इस सभ्यता के लोग वस्त्राभूषण और सौन्दर्य प्रसाधनों के प्रति भी बहुत रुचि रखते थे।
प्राचीन मिस्र के लोग विभिन्न प्रकार के वस्त्राभूषण पहनते थे, जिनमें शामिल हैं:
- हार: हार सोने, चांदी, और तांबे जैसे विभिन्न धातुओं से बने होते थे। इनमें अक्सर मोतियों, पत्थरों, और ताबीजों का भी इस्तेमाल होता था।
- बाजूबंद: बाजूबंद सोने, चांदी, और तांबे जैसे विभिन्न धातुओं से बने होते थे। इनमें अक्सर मोतियों, पत्थरों, और ताबीजों का भी इस्तेमाल होता था।
- कंगन: कंगन सोने, चांदी, और तांबे जैसे विभिन्न धातुओं से बने होते थे। इनमें अक्सर मोतियों, पत्थरों, और ताबीजों का भी इस्तेमाल होता था।
- छल्ले: छल्ले सोने, चांदी, और तांबे जैसे विभिन्न धातुओं से बने होते थे। इनमें अक्सर रत्न और पत्थर जड़े होते थे।
- मुकुट: मुकुट सोने, चांदी, और तांबे जैसे विभिन्न धातुओं से बने होते थे। इनमें अक्सर रत्न, पत्थर, और पंख लगाए जाते थे।
प्राचीन मिस्र के लोग विभिन्न प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधन इस्तेमाल करते थे, जिनमें शामिल हैं:
- काजल: काजल आंखों को काला करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह आंखों को बड़ा और सुंदर दिखाता था।
- सुरमा: सुरमा आंखों को चमकदार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह आंखों को स्वस्थ भी रखता था।
- हेनना: हेनना हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह त्वचा को सुंदर और सुगंधित बनाता था।
- विग: विग बालों को लंबा और घना दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। ये विभिन्न रंगों और शैलियों में उपलब्ध थे।
- इत्र: इत्र शरीर को सुगंधित बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह विभिन्न प्रकार के फूलों और पौधों से बनाया जाता था।
नील नदी घाटी की सभ्यता के लोगों का वस्त्राभूषण और सौन्दर्य प्रसाधन उनकी कला और सौन्दर्य की भावना को दर्शाता है। इन वस्तुओं का उपयोग खुद को सुंदर बनाने और अपनी सामाजिक स्थिति का प्रदर्शन करने के लिए किया जाता था।